स्कूल संचालकों की इमेज गुंडों और डाकुओं से भी बदतर

खुद स्कूल संचालक ने दूसरों पर लगाए कमीशनखोरी के आरोप

Jai hind news
कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद है लेकिन ऑनलाइन क्लास के नाम पर फीस वसूली जारी है। स्कूलों द्वारा फीस के लिए पालकों पर दबाव बनाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे में एक वीडियो वायरल होने के बाद निजी स्कूल संचालकों में गहमागहमी शुरू हो गई है। यह वीडियो किसी पालक का नहीं बल्कि खुद एक निजी स्कूल संचालक का है जिसने अन्य स्कूल संचालकों की तुलना गुंडों और डाकुओं तक से कर डाली। गौरतलब है कि उक्त संचालक ने 600 बच्चों की सालाना फीस के 60 लाख रुपए माफ़ करने का दावा किया है।

कुछ दिन पहले वायरल हुए वीडियो में दिखाई दे रहे शख्स ने खुद को देवास जिले के टोंककला गांव में संचालित ग्रेविटी स्कूल का संचालक बताया है। संचालक ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि कोरोना महामारी काल में हमने 600 बच्चों की सालाना फीस माफ की है। जो करीब 60 लाख रुपए होती है। इस जानकारी को सोशल मीडिया पर डालने के बाद अन्य स्कूल संचालकों व एसोसिएशन की ओर से धमकी भरे फोन भी आ रहे हैं कि हमारी संस्था को एसोसिएशन से निकाल दिया जाएगा। संचालक ने स्पष्ट किया कि हमें आपकी एसोसिएशन की जरूरत नहीं है।
आरोप लगाते हुए संचालक ने कहा कि पालकों ने अब तक पूरी फीस भरी, स्कूल चलाने वालों को डायरेक्टर और सीईओ बनाया, स्कूल की बसों की किस्त, भवन की किस्त, सब उन्हीं की फीस से जाती है और जब आज उन्हें मदद की जरूरत है तो स्कूल संचालक मानने को तैयार नहीं है। ये वो स्कूल संचालक हैं जो जीवन में खुद कोई बड़ा काम नहीं कर पाए। सरकारी परीक्षाओं में स्थान हासिल कर अच्छा मुकाम नहीं बना पाए तो स्कूल खोल दिए और व्यापारिक बुद्धि से स्कूल चला कर वसूली कर रहे हैं। यूनिफार्म के नाम पर एक बच्चे से 200 रुपए की कमीशनखोरी की जा रही है। इन स्कूल संचालकों की इमेज बंदूक लेकर लूटने वाले डाकू और गुंडों से भी बदतर है।
50-50 हजार रुपए बच्चों को पढ़ाने के नाम पर हर वर्ष लिए जा रहे हैं। इस फीस को लेकर ऐसी कौन सी नासा की रिसर्च करवाई जा रही है या स्पेस की पढ़ाई हो रही है। 10 हजार रुपए फीस लेकर भी बच्चों को पढ़ाया जा सकता है और कमाई भी की जा सकती है। लेकिन पढ़ाने के नाम पर लोगों को लूटा जा रहा है। यह खेल बंद होना चाहिए क्योंकि पढ़ाई के नाम पर लोगों का खून चूसा जा रहा है।

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