कॉपरेटिव सोसायटी ने लोगों के जमा पैसे नहीं लौटाए तो नीलाम होगी संचालकों की संपत्ति 

  • जय जिनेंद्र कॉपरेटिव सोसायटी का मामला, संचालक मंडल को ब्याज समेत पैसा लौटाने के आदेश
  • तय समय अवधि में ब्याज सहित पैसा नहीं देने पर विधिवत नीलाम होगी सोसायटी और संचालक मंडल की संपत्ति

Jai Hind News, Indore

कॉपरेटिव सोसायटी बनाकर लोगों को चूना लगाने वाले संचालकों के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया गया है। ऋण और निवेश के बड़े-बड़े सपने दिखाकर लोगों को चपत लगाने वाली एक कॉपरेटिव सोसायटी को निवेशकों का पूरा पैसा ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया गया है। पैसा नहीं देने पर कॉपरेटिव सोसायटी और संचालक मंडल की सम्पत्ति नीलाम करने का आदेश भी दिया गया है। मामला जय जिनेंद्र कॉपरेटिव सोसायटी का है, जिसे लेकर उप रजिस्ट्रार डॉ. मनोज जायसवाल (सहकारी संस्थाएं, जिला इंदौर) द्वारा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, साधना जैन पति नरेंद्र जैन, राजेश जैन पिता लालचंद जैन, प्रवीण बम पिता बसंलीलाल बन, अक्षय जैन पिता राजेश जैन और अंतिम जैन पिता लालचंद जैन के विरूद्ध यह आदेश दिया गया है।

सोसायटी में जमा अपना जमा पैसा नहीं मिलने पर श्रीमती उषा सोनी पति केसरीमल सोनी और केसरीमल सोनी पिता नाथूलाल सोनी ने एडवोकेट प्रवीण कचोले के माध्यम से कोर्ट के समक्ष मामला रखा था। एडवोकेट कचोले ने बताया कि उनके पक्षकारों ने जय जिनेंद्र को. ऑपरेटिव सोसायटी लि. में करीब 24 लाख रुपए का निवेश अलग-अलग तारीखों पर किया। संचालक मंडल के सदस्य लगातार पैसा बढ़ने का हवाला देने रहे, लेकिन जब पक्षकार ने पैसा निकालना चाहा तो टालमटोल करने लगे।

कभी लॉकडाउन का बहाना तो कभी माली हालत खराब बताई 

एडवोकेट कचोले ने बताया कि जब पक्षकार ने सोसायटी संचालकों से पैसा मांगा तो उन्होंने तरह तरह के बहाने बनाए। कभी लॉकडाउन के कारण प्रक्रिया अटक जाने की बात कही तो कभी वित्तीय स्थिति को खराब बताया गया। इस तरह लगातार बहानेबाजी करने के बाद 2021, अप्रैल में सोसायटी बंद कर दी गई। पक्षकारों का पैसा अटक जाने के बाद लगातार पुलिस, प्रशासन और अन्य स्तरों पर शिकायत की गई। न्याय पाने के लिए आखिरकार हाईकोर्ट में याचिका लगाई जिस पर माननीय हाईकोर्ट द्वारा सक्षम प्राधिकारी के समक्ष मामला रखने के निर्देश दिए गए।

निर्धारित अवधि में करना होगा भुगतान

इसके बाद उप रजिस्ट्रार के समक्ष मामला रखकर पीड़ित दम्पति द्वारा अब तक जमा किए गए कुल 23,91,000 रुपए मेच्योरिटी व ब्याज के साथ लौटाने का आदेश देने के लिए मदद चाही गई। पीड़ित ने यह बात भी रखी कि उनके लिए यह राशि बेहद महत्वपूर्ण है और तनाव के कारण पक्षकार को ब्रेन ट्यूमर भी हो गया और वे विकलांग हो गए। जैसे -तैसे मदद मांगकर इलाज करवाया जा रहा है। प्रतिवादी का पक्ष जानने के लिए सक्षम स्तर से अदम तामिल किए गए, अखबार में सूचना भी प्रकाशित की गई लेकिन संचालक मंडल के सदस्य उपस्थित नहीं हुए। आखिरकार एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए सोसायटी के बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर्स को ब्याज सहित पैसा लौटाने के आदेश दिए गए। अगर 30 दिवस की तय अवधि में भुगतान नहीं किया गया तो सोसायटी अथवा संचालक मंडल की सम्पत्ति नीलाम कर विधिवत पैसा लौटाने का आदेश भी दिया गया है।

 

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