प्रॉक्टोलॉजी अनप्लग्ड: इंदौर में गुदा रोगों पर ओपन डिस्कशन

इंदौर गेस्ट्रो इंटेस्टाइन प्रॉक्टो सर्जन्स सोसायटी ऑफ इंदौर ने ए.सी.आर.एस.आई. के सहयोग से “प्रॉक्टोलॉजी अनप्लग्ड – डाइलेमा टू डिसीजन” विषय पर कोलो–प्रॉक्टोलॉजी पर एक मेंटरशिप और नालेज एक्सचेंज प्रोग्राम का आयोजन किया। इंदौर एवं आसपास के प्रॉक्टोलॉजी एक्स्पर्ट्स, युवा सर्जनों और मेडिकल स्टूडेंट्स ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रॉक्टोलॉजी अर्थात् गुदा, मलाशय एवं बड़ी आंत से संबंधित रोगों पर गहराई से चर्चा कर वास्तविक चिकित्सा–मामलों से समाधान तक पहुँचना था।

कार्यक्रम में विभिन्न केसेस पर ओपन डिस्कशन हुए, जिनमें सरजन्स ने जटिल केसेस को प्रस्तुत किया, जिन पर वरिष्ठ विशेषज्ञों ने विश्लेषण करते हुए निर्णय–प्रक्रिया, जाँच, उपचार–विकल्प और ऑपरेटिव डिसीज़न साझा किए। पाइल्स, फिस्टुला, फिशर, एनल स्टेनोसिस, पेरिऐनल वॉर्ट्स और प्रुरिटस एनी जैसे विषयों पर विस्तृत विमर्श हुआ। सवाल–जवाब का सत्र कार्यक्रम का सबसे आकर्षक हिस्सा रहा, जहाँ युवा प्रतिभागियों ने परिस्थितियाँ रखीं और समाधान प्राप्त किए। कार्यक्रम में मेंटर्स के रूप में डॉ. अशोक लड्ढा, डॉ. सी.पी. कोठारी और डॉ. अपूर्व चौधरी ने मार्गदर्शन दिया।

ए.सी.आर.एस.आई.के प्रेसिडेंट एवं विषय विशेषज्ञ डॉ. कुशल मित्तल ने आम भाषा में कहा – शौच करते समय दर्द, खून आना, बार–बार सूजन या फिस्टुला जैसी समस्याएँ शर्म या झिझक की वजह से अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। ऐसी बीमारियाँ पूर्णतः उपचार योग्य हैं और आधुनिक तकनीक के साथ रिकवरी पहले की तुलना में अधिक तेज़ एवं सहज है। सरजन्स से बात करते हुए डॉ मित्तल ने कहा – “हरेक पीढ़ी के सर्जन को अनुभव–आधारित निर्णय लेना चाहिए।

नालेज एक्सचेंज प्रोग्राम कॉर्डिनेटर डॉ. प्रणव मंडोवरा ने कहा, – “प्रॉक्टोलॉजी अक्सर लोगों के मन में शर्म और झिझक का विषय बन जाती है, लेकिन सच यह है कि इन रोगों का इलाज बिल्कुल संभव है। दर्द, खून आना, या बार-बार होने वाली तकलीफ को सहते रहना समाधान नहीं—समय पर डॉक्टर से मिलना सबसे बड़ा कदम है। हमारा उद्देश्य यही है कि लोग बीमारी छुपाएँ नहीं, उसे समझें और सही मार्गदर्शन के साथ उपचार तक पहुँचें। हर केस एक सीख है, और यही सीख हज़ारों मरीजों की ज़िंदगी आसान बना सकती है। अगर लोग समय पर सामने आएँ, तो हम दुविधा से निर्णय और दर्द से राहत तक का सफ़र बहुत तेज़ी से तय कर सकते हैं।”

प्रॉक्टोलॉजी जैसे विषय, जिसे आम जनता संकोचवश टालती है, उसे चिकित्सा–विज्ञान के दृष्टिकोण से सरल और समझने योग्य रूप में प्रस्तुत किया गया। मूल बात यह है कि समस्या को समझें, उसे छिपाएँ नहीं और समय रहते विशेषज्ञ से परामर्श लें — क्योंकि शुरुआती इलाज से परिणाम गुणात्मक रूप से बेहतर होते हैं।

नालेज एक्सचेंज प्रोग्राम कॉर्डिनेटर डॉ. अंकुर माहेश्वरी ने कहा – “हम आगे भी ऐसे सत्र नियमित रूप से आयोजित करेंगे ताकि चिकित्सा–ज्ञान व तकनीकी प्रगति का लाभ अधिक से अधिक डॉक्टरों और अंततः आम जनता को प्राप्त हो सके। यह नालेज एक्सचेंज प्रोग्राम चिकित्सा–समुदाय के लिए उपयोगी सिद्ध होने के साथ रोगों के प्रति जागरूकता फैलाने का सशक्त माध्यम भी बनकर उभरते हैं, जो लोगों के जीवन–स्तर को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।

कार्यक्रम के बाद फेलोशिप और डिनर के साथ बातचीत हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने अनुभवों और ट्रीटमेंट पर और चर्चा की।

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