सपने बड़े देखो, नींव मजबूत रखो: कर्नल मंगरुलकर

 बाल शिक्षा की जननी एवं समाजसेवा को शिक्षा से जोड़ने वाली महान विभूति स्व. पद्मश्री शालिनी ताई मोघे की 14वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में बाल निकेतन संघ, इंदौर द्वारा आयोजित दो दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के दूसरे दिन राष्ट्रसेवा, वीरता और अनुशासन की प्रेरणादायक चर्चा देखने को मिली। 1 जुलाई 2025 की सुबह संस्था परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे लेफ्टिनेंट कर्नल आशिष मंगरुलकर, जो वर्तमान में महू स्थित ईसीएचएस (पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना) के प्रमुख हैं। अपने प्रभावशाली व्याख्यान में उन्होंने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ सहित सेना में बिताए विभिन्न संघर्षपूर्ण और प्रेरक अनुभव साझा किए। कार्यक्रम की शुरुआत प्रार्थना, भजन और राष्ट्रगीत के साथ हुई, जिसमें भारतीय सैनिकों की वीरता, त्याग और समर्पण को भावनात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया।

अपने संबोधन की शुरुआत में लेफ्टिनेंट कर्नल आशीष मंगरुलकर ने बाल निकेतन संघ परिसर में स्थित संग्रहालय की सराहना करते हुए कहा, “मैंने आपका म्यूज़ियम देखा, जिस तरह से उसे संजोया गया है, वह वाकई में अद्वितीय है। यह केवल चीज़ों का संकलन नहीं है, यह ताई के विचारों, उनकी दृष्टि और बाल निकेतन की आत्मा का आईना है। मैं ताई के चलाए गए इस महाअभियान से वाकई प्रेरित हुआ हूँ, यहां पढ़ने वाले छात्र अत्यंत सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें ऐसी संस्था में शिक्षा मिल रही है, जहां ज्ञान के साथ-साथ संस्कृति और मूल्य भी सिखाए जाते हैं। हमारे प्रशिक्षण में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है, ‘शांति में अधिक पसीना बहाओ, ताकि युद्ध में कम खून बहे।’ मैं चाहता हूं कि आप सभी छात्र इस सोच को अपनी पढ़ाई में लागू करें। मेहनत से मत घबराइए, क्योंकि आज का परिश्रम ही कल की सफलता की नींव रखता है।”

उन्होंने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की विस्तार से चर्चा की, जिसमें सीमावर्ती क्षेत्र में एक जटिल मानवीय संकट को समाधान की ओर ले जाया गया। उन्होंने बताया कि “यह केवल सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि एक संवेदनशील मानवीय दायित्व था, जिसमें सूझबूझ, संयम और नेतृत्व की परीक्षा होती है। हमारी सेना में अनेक ऐसे अधिकारी हैं, जिनकी पृष्ठभूमि अत्यंत साधारण रही है, लेकिन उन्होंने अपने अथक परिश्रम, अनुशासन और आत्मबल से देश की सर्वोच्च जिम्मेदारियों को निभाया है। आप में से भी कोई क्यों नहीं? सपने बड़े देखो, खुद पर विश्वास रखो, और हर दिन बेहतर बनने की कोशिश करो। दुनिया की ऊंचाइयों पर वही पहुंचता है जो नींव से मजबूत होता है।”

बाल निकेतन संघ की सचिव डॉ. नीलिमा अदमणे ने भी इस अवसर पर कहा, “हमारा सौभाग्य है कि आज हमारे बीच एक ऐसे अतिथि उपस्थित हैं जो केवल सेना के वीर नहीं, बल्कि बच्चों के मन में सेवा, अनुशासन और कर्तव्य की लौ जलाने वाले शिक्षक भी हैं। उनका वक्तव्य न केवल प्रेरक था, बल्कि आने वाली पीढ़ी के निर्माण के लिए दिशा देने वाला भी था।”

इस कार्यक्रम के अंत में शिक्षिका साक्षी सोलंकी द्वारा मुख्य अतिथि और सभी उपस्थितजनों का आभार व्यक्त किया गया। उन्होंने कहा, “आज का दिन निश्चित रूप से हमारे विद्यार्थियों के जीवन में एक प्रेरक मोड़ की तरह रहेगा। आशीष सर की बातें न केवल प्रेरित करती हैं, बल्कि यह एहसास कराती हैं कि सच्चा जीवन वही है जो दूसरों के लिए उदाहरण बन सके।”

कार्यक्रम के समापन पर ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की स्मृति में सिंदूर पौधा रोपित किया गया, जो राष्ट्रसेवा, त्याग और समर्पण का प्रतीक बनकर बाल निकेतन संघ के परिसर में नई ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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