सेहत के लिए ‘डाइटिंग’, तो सफलता के लिए ‘टाइम डाइटिंग’ जरूरी

– क्या है टाइम डाइटिंग 
स्वभाव से घुमक्कड़ हूँ। माता-पिता के आशीर्वाद और प्रभुकृपा से भारत वर्ष के कई राज्यों की धूल फाँकने का मौक़ा मिला है। वहाँ नये इनोवेशन तलाशता रहा हूँ। देश के अच्छे रेस्तराँ में एक नया चलन चला है। बुफ़े में डिश के नाम की प्लेट में वेज-नॉनवेज के निशान के अलावा एक और सूचना लिखी जाने लगी है। इस डिश का सेवन करने पर हम प्रति सौ ग्राम कितनी कैलोरी अर्न करेंगे? समझदार को इशारा काफ़ी है। फ़िटनेस अवेयरनेस के बदलते दौर में हर जागरूक व्यक्ति इस बात पर एक बार नज़र डाल ही लेता है। क्या सेवन करने से कितनी कैलोरी बढ़ जाएगी और इसे बर्न करने के लिए मुझे कितना अतिरिक्त परिश्रम करना होगा?
जिस तरह शरीर को फिट रखने के लिए भोजन का सही डाइट प्लान ज़रूरी है, उसी तरह सफलता की पहली शर्त है टाइम डाइटिंग। अगर बेवजह खपाए गए घंटों को किलो में मापा जाए तो हर किसी का वज़न बढ़ा हुआ मिलेगा। ज़रूरी है अपने क़ीमती समय से अनावश्यक टॉक्सिक और हानिकारक समय कम करना और फ़ायदेमन्द कार्यक्षमता बढ़ाना। अगर हम तकनीक और प्लानिंग के साथ काम करें तो अपना साठ से सत्तर प्रतिशत समय बचा सकते हैं। जिसे समय को गुलाम बनाना आ गया, सफलता खुद उसकी चाकरी करती है।
– सतीश शर्मा
(लेखक चिंतक, विश्लेषक और शासन-प्रशासन से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ हैं।)

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