कोरोना से लड़ने की इम्युनिटी एक-दो दिन में नहीं बढ़ती, खुद को बचाएं और दूसरों को भी जागरूक बनाएं
Jai Hind News
वैश्विक बीमारी कोरोना से बचने का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है कि हर व्यक्ति संयम , धैर्य और विवेक से काम ले। पहले स्वयं की सुरक्षा करें , फिर अपने परिवार के सदस्यों की, फिर मित्रों-परिचितों की और फिर समाज की। इस महामारी पर जो जानकारी उपलब्ध है उसमें से सही और गलत का चयन हमें अपने विवेक से करना है और आम जनता को जागरुक भी करना है। उक्त विचार जिला आपदा नियंत्रण समिति के समंवयक और सलाहाकार डॉ. निशांत खरे ने महाराष्ट्र समाज और तरुण मंच द्वारा आयोजित गणेशोत्सव में “कोरोना महामारी जिज्ञासा और समाधान” विषय पर संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
कोरोना महामारी से बचने की जानकारी देने के लिए श्री रण मंदिर, राजेन्द्र नगर के सभागृह में संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अजय चौधरी ने की ।
डॉ. खरे ने स्पष्ट और सरल शब्दों में कोरोना से संबंधित अनेक भ्रांतियों और शंकाओं का समाधान किया। उन्होंने कहा कि कोरोना इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है क्योंकि यह अन्य बीमारियों से अलग है। इस वायरस की संक्रमण की दर और गति बेहद अधिक है। भारत में जनसंख्या घनत्व अत्यधिक होने के कारण किसी अन्य देश की परिस्थिति से भारत की तुलना नहीं की जा सकती। वैक्सीन का सफर अभी लंबा है और यदि यह जल्द आ भी जाती है तो भारत की 130 करोड़ जनता को इसे उपलब्ध करवाना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसलिए हर व्यक्ति और विशेषकर सामाजिक संस्थाओं का यह दायित्व है कि वे अपने आसपास के लोगों को इस बीमारी से बचाव के तरीके बताए और उन्हें जागरुक करें ।
इम्युनिटी बढ़ाने की दवाओं के बारे में उन्होंने कहा कि इम्युनिटी कोई एक-दो दिन या हफ्तों में या किसी दवा को लेने से नहीं बढती बल्कि मनुष्य का शरीर सालों की प्रक्रिया के बाद बीमारी सहने लायक बनता है। हमारी दादी, नानी बचपन में हमें जो दवाई पिलाती हैं वह इम्युनिटी बढ़ाने की ही होती है। हमारी रसोई और घर में अनेक ऐसे मसाले हैं जो हमें बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाते हैं।
डॉक्टर खरे ने कार्यक्रम के दौरान मुकेश भावसार, दीपक नाईक, जयंत शिरालकर, शुभा देशपांडे , मीनाक्षी नवाथे सहित अनेक श्रोताओं द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब भी दिया और उनकी शंकाओं का समाधान किया। अतिथियों का स्वागत प्रशांत बडवे, अथर्व हजरनीस, सुशांत घोडगांवकर और रत्नेश पन्हाळकर ने किया। कार्यक्रम का संचालन सुनील धर्माधिकारी ने किया।