– प्रदेश की नई सरकार को विरासत में मिलेगा खाली खजाना
Jai Hind News, Indore
लोगों को सुविधा उपलब्ध करवाने और नई घोषणाओं पर काम शुरू करने के लिए प्रदेश की पिछली सरकार ने भारी-भरकम कर्ज लिया है। देश के दोनों ही बड़े राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जो भी सरकार बनेगी उसे खाली खजाना विरासत में मिलेगा। इनके कंधों पर नई योजनाओं को पूरा करने के साथ ही कर्ज उतारने और खाली खजाने को भरने का जिम्मा होगा। यह काम किसी भी दल के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित होगा। 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों के बाद जो सरकार बनेगी उसे करीब 3.85 लाख करोड़ रुपए का कर्ज विरासत में मिलेगा। क्योंकि शासन की कमाई कम है और योजनाओं पर खर्च ज्यादा किया जा रहा है।
घोषणाएं लबालब, काम कम
मध्यप्रदेश का राजनीतिक इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि सरकार बनाने का दावा करने वाला दल कोई भी हो, घोषणाएं लबालब होती हैं। वोटर्स को लुभाने के लिए जमीन पर चलने से लेकर हवा में उड़ने तक के सपने दिखाए जाते हैं। लेकिन उस तरह का काम नहीं होता जो होना चाहिए। बात चाहें कमलनाथ सरकार की करें या फिर इसे गिराकर फिर से मुख्यमंत्री बने शिवराज की, दोनों ही की गई घोषणाएं आज भी अधूरी हैं। कुछ पर काम ही शुरू नहीं किया जा सका, जबकि कुछ पर हुआ तो भी आशातीत सफलता नहीं मिल सकी।
बजट की कमी का हवाला
इस बात में भी कोई दो मत नहीं कि प्रदेश सरकार खुद के विज्ञापन, मंत्रियों के भत्ते, वीआईपी ट्रीटमेंट और दूसरी इसी तरह की गतिविधियों पर बड़ा खर्च करती है। लेकिन लोगों से जुड़ी कई योजनाओं में या फिर सुविधा मुहैया करवाने के नाम पर कभी मंत्री तो कभी अधिकारी बजट की कमी का हवाला देते हैं। एक ओर वोट जुटाने के लिए अपने मंच से मंत्री खूब बजट होने की बात करते हैं जबकि सरकारी अधिकारी लोगों को बजट की कमी का हवाला देकर चलता कर देते हैं। यह घालमेल लोगों के लिए बड़ा सवाल बना हुआ है।
प्रदेश सरकार पर 3.85 लाख करोड़ रुपए का कर्ज
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश शासन का वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट 3.14 लाख करोड़ का है। 31 मार्च 2023 को खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष में सरकार पर 2.31 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था, जो 2023-2024 के अंत तक 3.85 लाख करोड़ रुपए होगा। प्रदेश में प्रति व्यक्ति पर फिलहाल 47 हजार रुपए कर्ज बताया जा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार की आमदनी कम है और खर्च ज्यादा किया जा रहा है। इसलिए प्रदेश सरकार लगातार कर्ज ले रही है और कर्ज बढ़ता जा रहा है।