मेदांता हॉस्पिटल इंदौर ने जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को दिया स्वस्थ जीवन का उपहार

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इंदौर भारत में लगभग हर साल लगभग 2,40,000 बच्चे जन्मजात हृदय रोग के साथ पैदा होते हैं। मध्य प्रदेश की बात करें तो हर साल लगभग 18,500 इस विकार के साथ जन्म लेते हैं। शिशु मृत्यु रोग के लगभग 10% मौतों का जिम्मेदार बाल हृदय रोग विकार (सीएचडी) है। शिशुओं में होने वाले जन्मजात हृदय रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 7 फरवरी से 14 फरवरी तक कंजेनाइटल हार्ट डिफेक्ट (सीएचडी) अवेयरनेस वीक मनाया जाता है। इंदौर का मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पिछले कई वर्षों से इसका सफल उपचार कर रहा है। सोमवार 12 फरवरी 2024 को मेदांता हॉस्पिटल में एक विशेष आयोजन किया गया जहाँ हॉस्पिटल में उपचारित बाल ह्रदय रोग के बच्चों को बुलाकर केक कटिंग सेरेमनी का आयोजन किया गया। ये वो बच्चें हैं जिन्होंने बाल ह्रदय रोग से जंग जीती और आज स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।

मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर एवं डायरेक्टर कार्डियक साइन्स डॉ संदीप श्रीवास्तव ने बताया, “बाल ह्रदय रोग का कारण सजातीय विवाह (कौन्सेंजियस मैरिज), शादी में होने वाली देरी, बढ़ी उम्र में गर्भधारण के कारण हो सकता है, कई मामलों में यह विकार संयोगवश भी होता है। अगर सावधानी रखी जाए तो कुछ हद तक जन्मजात हृदय दोष को रोका जा सकता है। वहीँ ज्यादातर मामलों में सर्जरी या अन्य उपचारों के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान ही अल्ट्रासाउंड के माध्यम से पता किया जा सकता है कि बच्चे का दिल स्वस्थ है और उसमें किसी प्रकार की समस्या तो नहीं है। इस आयोजन का उद्देश्य यही है कि समय से इस विकार का पता चल सके और जल्द से जल्द उपचार संभव हो सके। बाल ह्रदय रोग से अधिक से अधिक बचाव के लिए इसके लक्षणों को पहचानना बहुत जरुरी है। बुखार, तेज सांस, सीने का भीतर की ओर जाना जैसी तकलीफें, बार-बार छाती में संक्रमण बच्चे में ह्रदय रोग का लक्षण हो सकता है। बच्चों में वज़न ना बढ़ना, बार बार निमोनिया होना, जल्दी थक जाना, स्तनपान करने में असमर्थ होना या दूध पीते समय पसीना आना, बड़े बच्चों में तेज धड़कन (हार्टबीट) की शिकायत, चक्कर आने (बेहोश होने) की समस्याएँ, होंठ और नाखूनों में नीलापन होना, हाई ब्लबड प्रेशर या असामान्य हार्टबीट बाल ह्रदय रोग के प्रारम्भिक लक्षण हो सकते हैं। आज इस आयोजन के माध्यम से मेदांता हॉस्पिटल यह सन्देश देना चाहता है की अगर समय पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा और उपचार मिल जाए तो बाल ह्रदय रोग जैसे रोगों से भी जीता जा सकता है।“

बाल ह्रदय रोग एवं इसके उपचार के बारे में असोसिएट डायरेक्टर कार्डियक सर्जन डॉ शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया, “बाल ह्रदय रोग एक ऐसी स्थिति है जहाँ शिशु के हार्ट और उसकी प्रमुख नलिकाओं की संरचना में विकृति होती है। बच्चों में ह्रदय की इस समस्या में कई प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं। इसमें कुछ बच्चों में हृदय वाल्व से दिक्कत हो सकती है, इसमें ह्रदय के अंदर के वाल्व बंद हो जाते हैं या इनमें रिसाव हो सकता हैं। यह ह्रदय को सही ढंग से पंप करने की क्षमता को प्रभावित करता है। यदि समय से इसकी पहचान कर उपचार शुरू कर दिया जाए तो इससे होने वाले नुकसान से काफी हद तक बचा जा सकता है। हृदय में छेद और वाल्व की रूकावट को बिना सर्जरी (इंटरवेंशन) द्वारा सफलतापूर्वक ठीक किया जा सकता है। लेकिन ब्लू बेबी सिंड्रोम के उपचार के लिए ओपन हार्ट सर्जरी का सहारा लिया जाता है। मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हो रहे इस बाल ह्रदय रोग जागरूकता अभियान में इससे जुड़ी सभी जानकारी और उपचार के साथ डॉक्टर्स की एक दक्ष एवं योग्य टीम मौजूद है।”

मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की पीडियाट्रिक इंटरवेंशनल एंड फीटल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सिमरन जैन रांगणेकर के अनुसार“एक बच्चे का ह्रदय का विकास गर्भावस्था में बहुत जल्दी शुरु हो जाता है और गर्भावस्था के लगभग 8 से 10 सप्ताह में पूरा हो जाता है। यदि इस महत्वपूर्ण समयावधि में कोई गड़‌बड़ होती है, तो बच्चा ह्रदय दोष के साथ पैदा होता है। इसे जन्मजात ह्रदय रोग या बाल ह्रदय रोग कहते हैं। यह एक आम जन्मदोष है। पैदा होने वाले हर 1000 बच्चों में लगभग 8-12 बच्चे दिल की बीमारी के साथ पैदा होते हैं। दिल की जन्माजात बीमारियों के कई प्रकार हो सकते हैं लेकिन सामान्य भाषा में उन्हें दिल में छेद/होल कह दिया जाता है। कुछ छोटे छेद समय के साथ-साथ स्वयं से बंद भी हो जाते हैं। वहीँ बहुत सारी स्थिति में बिना ओपन हार्ट सर्जरी के हृदय के छेद को बंद किया जा सकता है और वाल्व को गुब्बारे के माध्यम से खोला जा सकता है। लेकिन कुछ बीमारियों ऐसी भी है जिनका समय से उपचार नहीं किया जाए तो ये गंभीर स्वरुप ले लेती हैं।

बाल ह्रदय रोग से पीड़ित कुछ बच्चों को यह केवल मामूली समस्याएं होती हैं और उन्हें उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, जबकि अन्य को जीवित रहने के लिए सर्जरी या अन्य उपचार की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में (ओपन हार्ट सर्जरी/क्लोज्ड हार्ट सर्जरी) या नॉन-सर्जिकल इंटरवेंशन (परक्यूीटेनियस इंटरवेंशंस, जैसे एएसडी/पीडीए/एवी फिश्चुला को यंत्र से बंद करना, एओर्टिक वॉल्व/पल्मोनरी वॉल्व/कोआर्कटेशन ऑफ एओर्टा का बलून डाइलेटेशन, कोआर्कटेशन ऑफ एओर्टा/पल्मोनरी आर्टरी की स्टेंटिंग, आदि) का सहारा लिया जा सकता है।

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