जेल के 24 कैदी कोरोना संक्रमित होने के बावजूद 2500 रहे सुरक्षित, होम्योपैथिक दवाइयों से बढ़ी रोग प्रतिरोधक क्षमता

Jai Hind News
Indore

– होम्योपैथिक दवाइयों के सेवन से केन्द्रीय जेल के लगभग 2500 कैदियों में कोविड संक्रमण का खतरा नहीं पनपा
– डॉ. ए. के. द्विवेदी ने कोरोना महामारी में कैदियों को दी निशुल्क दवाइयां और चिकित्सा परामर्श
– सर्दी, खाँसी, जुकाम के अलावा, रक्तस्राव, पाईल्स, त्वचा रोग एवं जोड़ों के दर्द में होम्योपैथिक दवाई देती स्थायी आराम

कोरोना महामारी का संक्रमण इंदौर की केंद्रीय जेल में भी दिखाई दिया। यहां 24 कैदी पॉजिटिव हो चुके थे। बंद परिसर में होने के कारण बाकी के कैदियों में भी संक्रमण का खतरा था, लेकिन कुछ ही दिनों में खतरा टल गया। इसका एक बड़ा कारण यह है कि कैदियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से बेहतर हुई। ऐसा होम्योपैथिक दवाइयों के बल पर भी हुआ, जो डॉ ए.के. द्विवेदी और उनकी टीम द्वारा केंद्रीय जेल में कैदियों को दी गई।

जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने बताया कि केन्द्रीय जेल, इन्दौर में 24 कैदियों को कोरोना पाॅजिटिव आने के बाद भी एक बन्द परिसर में होने के बावजूद भी अन्य 2500 कैदियों को संक्रमण नहीं हुआ। इसका कारण यह है कि कैदियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से बेहतर हुई है।
इस दौरान डॉ एके द्विवेदी द्वारा जेल में आकर कैदियों व स्टाफ को निशुल्क चिकित्सा परामर्श और दवाइयां दी गई सिर्फ कोरोना से लड़ने के लिए प्रतिरोधक दवाइयां ही नहीं बल्कि दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए भी दवाइयां दी गई जिससे मरीजों को काफी फायदा हुआ।

कोरोना बीमारी (महामारी) से बचाव के लिये डाॅ. द्विवेदी द्वारा प्रदान की गयी होम्योपैथिक दवाईयों के लिये जेल अधीक्षक ने डाॅ. ए.के. द्विवेदी को सम्मानित कर प्रमाण-पत्र भी प्रदान किया। डाॅ. ए.के. द्विवेदी एवं डाॅ. वैभव चतुर्वेदी तथा उनकी टीम के सभी सदस्य डाॅ. विवेक शर्मा, डाॅ. जितेन्द्र कुमार पुरी, राकेश यादव, दीपक उपाध्याय एवं विनय कुमार पाण्डेय द्वारा समय-समय पर जेल परिसर में आकर होम्योपैथिक, मानसिक चिकित्सा तथा यौगिक चिकित्सा द्वारा कैदियों (बंदियों) को मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य लाभ देते रहते थे।

डाॅ. द्विवेदी ने बताया कि, ऐसे कैदी जिन्हें बार-बार सर्दी जुकाम खांसी के अलावा रक्त स्त्राव पायल त्वचा के रोग जोड़ों का दर्द आदि रहता था उन्हें भी इन दवाइयों से सकारात्मक असर देखने को मिला और उन्हें अस्पताल नहीं जाना पड़ रहा है। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से बढ़ी है।

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