स्कूलों की मनमानी ट्यूशन फीस जानलेवा, रेगुलेटरी एक्ट के बावजूद न सख्ती न कार्रवाई

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Jai Hind News, Indore

18 July 2021

स्कूलों की मनमानी के खिलाफ जागृत पालक संघ के बैनर तले शहर के दर्जनों पालक सांसद शंकर लालवानी से मिले। उन्होंने सांसद के सामने यह मांग रखी कि हजारों बच्चे स्कूलों की मनमानी से पीड़ित हैं, जिनके पालकों से ट्यूशन फीस के नाम पर स्कूल लगातार वसूली कर रहे हैं। पालक दर्जनों बार शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मिलकर शिकायत कर चुके हैं लेकिन हर बार उनकी शिकायत रद्दी की टोकरी में फेंकी जा रही है। प्रदेश में फीस रेगुलेटरी एक्ट दिसंबर 2012 में लागू हो चुका है लेकिन उसका उल्लंघन करते हुए नियमों को हवा में उड़ाया जा रहा है और लगातार बच्चों को स्कूलों से निकालने की धमकी दी जा रही है। ऐसे में जरूरी है कि स्कूलों पर नियंत्रण किया जाए। पालकों को किसी तरह की आर्थिक मदद की दरकार नहीं है, लेकिन शासन के नियमों का पालन कराते हुए ट्यूशन फीस का उचित निर्धारण किया जाए और कानून का पालन किया जाए।

संघ के अध्यक्ष एडवोकेट चंचल गुप्ता ने बताया कि लगातार शिकायतों के बावजूद नहीं स्कूलों पर कार्रवाई हो रही है और नहीं पालकों को मदद मिल रही है। इसका कारण सिर्फ यही है कि हर बार शिकायतों को अनदेखा किया जा रहा है। हर स्तर पर जनप्रतिनिधियों द्वारा केवल आश्वासन दिया जाता है लेकिन कभी मध्यस्थता कर इस मामले को सुलझाने की कोशिश नहीं की जाती है। सचिव सचिन माहेश्वरी ने बताया कि फीस रेगुलेटरी एक्ट में स्पष्ट है कि हर जिले में एक ऐसी समिति बनाई जाए जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी के साथ एक सीए को भी शामिल किया जाए और स्कूलों को बीते 3 सालों की बैलेंस शीट प्रस्तुत करने के लिए बाध्य किया जाए ताकि ट्यूशन फीस और अन्य मदों का निर्धारण कर फीस तय की जाए लेकिन अब तक नहीं कोई कमेटी बनी है और न ही किसी भी स्कूल द्वारा बैलेंस शीट पेश की गई है इससे स्पष्ट है कि स्कूलों की मंशा सिर्फ वसूली करने की है, इसके अलावा कुछ नहीं। यह वसूली पालकों के लिए जानलेवा साबित हो रही है और स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। वे बगैर शिक्षा के फीस देने को मजबूर हैं। बच्चों को इन स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलवाने की कोशिश भी नाकाम साबित हो रही है। क्योंकि मौजूदा समय तक की फीस जमा नहीं करने पर स्कूलों द्वारा किसी भी नहीं दी जा रही है। जो कानूनन अपराध है इसलिए सांसद से निवेदन किया गया कि वे  समस्याओं पर ध्यान देकर निराकरण करने का कष्ट करें।

पालकों की मुख्य मांगें ये थी

*1. बिना वेक्सिनेशन और पूर्ण सुरक्षा के बच्चों को स्कूल नहीं खोले जाएं*!

*2.ट्यूशन फीस के नाम से पूरी फीस ली जा रही है इसका निराकरण कर उचित ट्यूशन फीस तय करवाई जाए*!

*3. स्कूल फीस के कारण आपके बच्चों ऑनलाइन पढ़ाई बंद कर दी गई है जिसे तत्काल शुरू करवाया जाए*!

*4. फीस के कारण टीसी नहीं दिये जा रहे हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह रुक गई है फीस भरने में असमर्थ पालकों को तत्काल टीसी दिलवाई जाए जिससे वो अपने बच्चों को किसी सरकारी स्कूल में एडमिशन दिलवा सकें*!

*5. फीस के कारण बच्चों के रिजल्ट/ प्रमोशन रोके गए हैं वो जारी करवाये जाएं*!

*6. स्कूल में लेट फीस मांगी जा रही है उसे बंद करवाया जाए*!
*7. सासंद जी की मध्यस्थता में जिला प्रशासन और पालकों की एक मीटिंग करवाई जाए जिसमें निजी स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी की सप्रमाण जानकारी प्रशासन को दी जा सके और एक कमेटी बनाकर पुरानी लंबित शिकायतों और वर्तमान शिकायतों के निराकरण की व्यवस्था की जाए ।

*यदि सांसद तत्काल इस विषय में कोई गम्भीर और सार्थक प्रयास नहीं करते हैं तो अभिभावक मजबूर होकर अपने बच्चों की शिक्षण सामग्री, कॉपी, किताबें सांसद जी के कार्यालय पर जमा करवा देंगे और अपने बच्चों की पढ़ाई छुड़वाने के लिए मजबूर हो जाएंगे ।*

सांसद ने आज ही इस विषय पर कलेक्टर इंदौर से चर्चा कर अगले 3 से 4 दिन के अंदर जागृत पालक संघ के प्रतिनिधियों व जिला प्रशासन के साथ संयुक्त मीटिंग कर समस्या के बिंदुवार उचित निराकरण का आश्वासन दिया है ।

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