इंदौर में आजादी की ऐसी दीवानगी थी, कि कई लोगों ने अपना उपनाम ‘आजाद” रख लिया था..

इंदौर

आजादी के महासंग्राम में इंदौर का महत्वपूर्ण स्थान है। कई आंदोलनों में यहां के सेनानियों ने महती भूमिका निभाई। कुछ आंदोलन यहां आकर ही गतिशील हुए तो कई की योजना ही मां अहिल्या की धरती पर बनाई गई। यहां आजादी के पहले के संघर्ष तो कड़े थे ही, लेकिन जीत की खुशी भी इतनी थी कि कई लोगों ने अपने उपनाम यानी सरनेम ही बदल लिए थे।
नेताजी सुभाष मंच द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके परिजनों के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया जाता है। इस संगठन के प्रमुख मदन परमालिया ने बताया कि स्वतंत्रता के महायज्ञ में इंदौर के लोगों ने कई आहुतियां दी हैं। ‘करो या मरो”आंदोलन में भी शहर के खातीपुरा चौराहा और सराफा बाजार में उग्र आंदोलन हुए। ऐतिहासिक प्रमाण बताते हैं कि जब आजादी मिली तो कई लोगों ने अपने सरनेम बदलकर ‘आजाद” रख लिया था।

बताया जाता है कि श्यामकुमार आजाद, मराठा समाज के थे। चतुर्भुज आजाद, ब्राह्मण समाज के थे। राध्ााबेन आजाद, माहेश्वरी समाज की थीं। ऐसे कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पहले दूसरे समाजों के थे, लेकिन आजादी मिलने के बाद उन्होंने सरनेम एक जैसा कर लिया और नाम के साथ ‘आजाद” लगाकर आजादी की खुशी का इजहार किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *