आओ सब मिलकर नई राह की ओर गमन करते हैं….
वक्त ने करवट ली….महामारी ने दुनिया में कदम रखा। इतनी उम्र हो गई हमारी…हमने भी पहली बार संक्रमण का ऐसा बुरा स्वाद चखा। चारों ओर हाहाकार मच गया। मौत का तांडव रच गया। अपने भी बैगाने हो गए। अस्पताल चौदह दिन के ठिकाने हो गए। नए-नए नामों का सिलसिला मिला। कोरोना पीड़ित से खून के रिश्ते भी करने लगे गिला। आइसोलेशन , कॉरेंटाइन , मास्क , सेनेटाइजर जैसे शब्द मिले। लॉकडाउन में चेहरे बुझे और अनलॉक में रहे खिले-खिले। फिजिकल डिस्टेनसिंग की जगह दे दिया सोशल डिस्टेनसिंग।
कोरोना की चपेट में आ गए बड़े-बड़े देशों के अमीर और कई सारे किंग। इस नवजीवन की श्रृंखला में हमारे कायदे बदल गए। जिंदगी जीने के मकसद और फायदे बदल गए। अब धनपति बनने की चाहत से ज्यादा स्वास्थ्य की फिक्र है। जिधर देखो उधर योग, प्राणायाम और काढ़े का जिक्र है। इस नए तरीके को हम नमन करते हैं। आओ सब मिलकर नई राह पर गमन करते हैं।
● प्रो.(डॉ) श्याम सुन्दर पलोड़
राष्ट्रीय कवि
(लेखक संस्कार कॉलेज, इंदौर के विभागाध्यक्ष एवं प्रशासक हैं। )
प्रो.(डॉ) श्याम सुन्दर पलोड़