कोरोना से जंग जीतने में भारत क्यों है बेहतर…. जानिए एक डॉक्टर से

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Jai Hind News
Indore
आज हर भारतवासी के ज्ञान में यह बात आना जरूरी है कि आखिर क्या है ऐसा कि कोरोना से लड़ने में हम पूरे विश्व में बेहतर हैं। कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में कोहराम मचाया है, लेकिन जनसंख्या के आधार पर, क्षेत्रफल के आधार पर एवं प्रति वर्ग किलोमीटर में रहने वाले लोगों की संख्या जिससे सोशल डिस्टेंसिंग प्रभावित होती है, भारत का रिकवरी रेट विकसित देशों की तुलना में काफी अच्छा रहा है।
यदि हम भारत की तुलना में अमेरिका और फ्रांस की या अन्य देशों की बात करें तो यहां की जनसंख्या भारत की तुलना में काफी कम है। क्षेत्रफल ज्यादा है और एक निश्चित एरिया में रहने वाले लोगों की संख्या भी बहुत कम है। यदि विश्लेषण करें तो इन देशों में स्वास्थ्य सुविधाएं भारत से काफी अधिक हैं। फिर कुछ तो ऐसा है जिससे भारत का रिकवरी रेट (90.23%) है। दूसरे देशों से बेहतर होने का मूल कारण यही है कि भारत ने अपनी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद एवं योग का भरपूर उपयोग किया है और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया है।

आज भी हर व्यक्ति इस बीमारी में काढे का उपयोग करता है। इस बीमारी से बचने के लिए अश्वगंधा, हल्दी, गिलोय, त्रिकटु ,(सोंठ काली मिर्च पिपली) एवं अन्य आयुर्वेद औषधियों का भरपूर प्रयोग किया है। पूरे भारत के बड़े-बड़े आयुर्वेद संस्थानों ने वैज्ञानिक रूप से अनुसंधान करके प्रभावी भी माना है। पूरे देश के कम लक्षण वाले एवं गंभीर रोगियों ने भी इसका प्रयोग किया है। घर पर रहकर ठीक होने वालों ने तो अपने आप को पूर्णतया आयुर्वेद एवं घरेलू उपचार पर आश्रित किया है।
सिर्फ आयुर्वेद ने ऐसा किया है मैं यह नहीं कहता। अन्य चिकित्सा पद्धति ने भी अपना भरपूर सहयोग किया है, लेकिन आज बात उसकी है जो सिर्फ मेरा है, अपना है ,हिंदुस्तान का है। मेरा उद्देश्य है कि हम हमारी भारतीय, स्थानीय, गौरवमयी चिकित्सा पद्धति का सम्मान करें। कोरोना में प्रत्येक देश ने अपने स्थानीय संसाधनों को बढ़ाने की कोशिश की है। ताकि भविष्य में भी हम अपने स्तर पर किसी भी बड़ी महामारी से लड़ सकें ।
अमेरिका (यूएसए) की जनसंख्या 33,16,21,597 है। जो पूरे विश्व की जनसंख्या का 4.25 प्रतिशत है, 94 people /mi है और वहां का क्षेत्रफल 9,14,7 4,202 वर्ग किलोमीटर है। अमेरिका में आज की स्थिति में 80,000 कोरोना के मामले सामने आए हैं, जबकि भारत में यह आंकड़ा धीरे धीरे कम होते हुए एक लाख से 46,823 पर आ गया है। अमेरिका के साथ-साथ अन्य विकसित देशों में भी यह स्थिति है। यदि हम भारत को देखें तो जनसंख्या 138,43,082 21 (लगभग 138 करोड़) है जो अमेरिका से लगभग 4 गुना है और पूरे विश्व की जनसंख्या था 17% है। यहां पर 1202 लोग जितने एरिया में रहते हैं अमेरिका में तो इतने एरिया मे सिर्फ 94 लोग रहते हैं। सोशल डिस्टनसिंग भी रखना बड़ा मुश्किल होता है। अमेरिका की तुलना में क्षेत्रफल भी कम है है।

सभी सुविधाओं में अन्य विकसित देशों से कम होते हुए भी कुछ तो ऐसी बात रही कि हमने कोरोना जैसी बीमारी पर अन्य देशों की अपेक्षा बेहतर परिणाम दिखाएं हैं और वह सिर्फ आयुर्वेद के प्रयोग से दिखाई पड़ते हैं। यह चर्चा विश्व के अन्य देशों में भी है। भारत के अच्छे परिणामों के कारण क्या है, क्यों दूसरे देशों की भविष्यवाणियां विफल रही कि भारत में कोरोना को कंट्रोल करना मुश्किल है। पूरा विश्व इसका विश्लेषण कर रहा है।
आइए हम सब मिलकर हमारी गौरवमयी भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का संरक्षण करें। सम्मान दें और यथासंभव प्रत्येक व्यक्ति इसमें सहयोग दें। आयुर्वेद को बढ़ावा देना सिर्फ आयुर्वेद से जुड़े हुए व्यक्ति का काम नहीं यह हर हिंदुस्तानी की जिम्मेदारी है कि हम हमारी पुरातन पद्धति को इतना विकसित करें कि पूरे विश्व में इसके लाभ को जन जन तक पहुंचा कर ‘सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया’ को सार्थक कर सकें।

डॉ. अखलेश भार्गव
( लेखक शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज के प्रोफेसर हैं। यह आलेख उनके निजी विचारों, शोध और जानकारी के आधार पर उन्होंने स्वयं लिखा है)

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