Jai Hind News
Indore, 31 march 2021
कोरोना ने मानव के अस्तित्व को जिंदगी और मौत के बीच लाकर खड़ा कर दिया है। इस कोहराम ने हर इंसान की माली हालत खराब कर दी है। रही-सही कसर महंगाई ने पूरी कर दी और मुसीबत इतनी बढ़ गई जैसे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई हो। इन दिनों हमारे देश की बड़ी आबादी तंग माली हालातों से गुजर रही है और अधिकतर लोगों की जेबें खाली हैं। कई की नौकरी चली गई, कई के धंधे बंद है। नतीजा यह कि खर्च बढ़ गए और कमाई कम होती जा रही है। ऐसे में इंदौर नगर पालिक निगम ने घोषणा कर दी कि 1 अप्रैल 2021 से कचरा संग्रहण, पानी, सीवरेज के नाम पर लिया जाने वाला शुल्क करीब दोगुना हो जाएगा। इसके पीछे अफसरों के पास कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इन कारणों से कई गुना ज्यादा संख्या उन सवालों की है जो इस समय आम लोगों के मन में उठ रहे हैं कि क्या नगर निगम अधिकारियों के लिए इस शुल्क को बढ़ाना वास्तव में इतना जरूरी था कि उन्होंने जनता जनार्द्धन की तकलीफों को दरकिनार कर इस तरह की बढ़ोतरी को थोपने की तैयारी कर ली।
एक साल से जारी कोरोना के कहर ने कई लोगों को लगभग कंगाल कर दिया है। पहले से धन्न्ा सेठ कहलाने वाले लोगों को खास फर्क नहीं पड़ा, लेकिन आम आदमी पेट पालने से लेकर परिवार संभालने जैसी जिम्मेदारियां कैसे निभा रहा है, वही जानता है। ऐसे में आम आदमी को राहत देने की बजाय इंदौर नगर निगम ने दोगुना टैक्स लादने की तैयारी कर ली। जिसके तहत् पानी का शुल्क, कचरा प्रबंधन के नाम पर लिया जाने वाला शुल्क, सीवरेज शुल्क, संपत्ति कर आदि में बढ़ोतरी की गई है। यह बढ़ोतरी कुछ फीसदी नहीं बल्कि लगभग दोगुना तक है। यह कितना न्याय संगत है, यह सबसे बड़ा सवाल है।
नई गाइडलाइन के मुताबिक कचरा कलेक्शन के नाम पर 300 रुपए, नल का बिल 400 रुपए, सीवरेज के नाम पर 240 रुपए लिया जाएगा। इस तरह हर महीने 940 रुपए और हर वर्ष 11, 280 निगम को देना होगा। इसमें भारी भरकम संपत्ति कर शामिल नहीं है। जाहिर है यह राशि भी इतनी बड़ी होगी कि जैसे-तैसे घर चलाने वाले आम आदमी की सांसे फूल जाएंगी।
अब ऐसे में सवाल यह है कि …. आम आदमी पहले घर का पेट भरे या अवांछित टैक्स ?
इस बढ़ोतरी को वापिस लेने और आम लोगों को राहत देने में जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन वे आवाज उठाएंगे या खामोशी साध लेंगे यह देखने वाली बात है। कर बढ़ोतरी के मामले में पूर्व महापौर व विधायक मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़ ने कहा कि हमारे कार्यकाल में इस तरह की बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन अब अधिकारियों द्वारा बगैर किसी से चर्चा किए बढ़ोतरी की जा रही है जो न्यायसंगत नही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री व नगरीय प्रशासन मंत्री से चर्चा की जाएगी।
– आर्यन राठौर
(युवा लेखक देअविवि के पत्रकारिता विभाग से हैं और ये उनके निजी विचार हैं।)