कुछ पॉजिटिव भी सोचिए…. सिर्फ मौत का मंजर ही नहीं, मुस्कुराती जिंदगी को भी देखिए

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Jai Hind News, Indore
22 April 2021

यह सच है कि कुछ कमियां भी हैं, कुछ खामियां भी। कुछ के पीछे साधन, संसाधनों का अभाव जिम्मेदार है तो कुछ के पीछे देरी भी। रेमडेसिविर की कालाबाजारी भी हो रही है, अव्यवस्थाओं के पीछे न के बराबर लोगों का निजी स्वार्थ भी है, जानबूझकर किए जाने वाले अहित भी है। कुछ लोग भी गलत हो सकते हैं लेकिन सभी गलत कैसे हो सकते हैं। मौजूदा विषम परिस्थितियों के लिए सभी डॉक्टर अथवा जिम्मेदारों को गलत कैसे ठहराया जा सकता है।

क्रूर कोरोना का दूसरा चरण कोहराम मचा रहा है और हर ओर हाहाकार है। दवाइयों की कमी, रेमडेसिविर इंजेक्शन का टोटा, ऑक्सीजन का अभाव और अस्पताल में जगह का नहीं होना निश्चित ही चिंता और हैरत में डालने वाला है लेकिन जरा सोचिए कि क्या सिर्फ इनके बारे में सोचने और बात करने से समस्या का समाधान होगा??
क्या इनके लिए डॉक्टरों और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों को जिम्मेदार ठहराने से मरते लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है….?? कोरोना को दूर किया जा सकता है… ?? टीकाकरण हो सकता है… ??
जवाब है…. नहीं।

फिर भी इन कमियों के लिए, संकट के लिए, समस्याओं के लिए और बीमारी के लिए डॉक्टर को जिम्मेदार बताया जा रहा है। कोसा जा रहा है। खरी-खोटी सुनाई जा रही है। कमियां निकालकर चेतावनी (धमकियां भी) दी जा रही है। अस्पतालों, डॉक्टरों के वाहनों पर हमला किया जा रहा है।

ऐसे हालातों में जरूरी है कि विषय की गंभीरता और प्रयासों की गहराई को समझा जाए। एक-दूूसरे को दोष देने, विवाद करने, झगड़ने और सही या गलत साबित करने से कुछ हासिल नहीं होगा। उलटा पूरा सिस्टम प्रभावित होगा और डॉक्टरों की क्षमता भी कम होगी और गुणवत्ता भी।

आखिर क्यों सिर्फ कमियों की बात की जा रही है। डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ से लेकर पुलिसकर्मियों, निगमकर्मियों, प्रशासनिक कर्मचारियों की मेहनत और समर्पण को क्यों नहीं देखा जा रहा। ये सभी लोग दिन-रात बगैर घड़ी देखे मानवता के अस्तित्व को बचाने का काम कर रहे हैं। खुद की जान की परवाह किए बगैर। कई कोरोना योद्धा आपके अपनों को बचाने के लिए खुद अपनी जान गवां चुके हैं। लेकिन इनके अपनों ने आपसे शिकायत नहीं की, झगड़ा नहीं किया। क्योंकि वे अपने काम को सेवा समझ रहे थे, लेकिन कोरोना योद्धाओं से झगड़ने वाले लोग सिर्फ अपना स्वार्थ देख रहे हैं।

इसमें कोई दो मत नहीं कि कोरोना ने जो कहर ढाया, वो अभूतपूर्व है और इसने हर एक का बड़ा नुकसान किया है। इसमें आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत नुकसान शामिल है लेकिन इस मार और नुकसान के लिए डॉक्टरों, कोरोना योद्धाओं को दोष देना पूरी तरह गलत है।

मौत के बीच मुस्कुरा रही जिंदगी
बीते कुछ दिनों से व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए हर स्तर पर हर संभव कोशिश हो रही है। हर विभाग और जनप्रतिनिधि ऑक्सीजन, इंजेक्शन और इलाज उपलब्ध करवाने की कोशिश कर रहा है। अस्थायी कोविड केयर सेंटर और अस्पताल भी शुरू हो रहे हैं। 15 अप्रैल को 1669 लोग पॉजिटिव मिले जबकि इसी दिन 1895 लोग अस्पतालों से ठीक होकर घर लौटे हैं। पॉजिटिव होने वाले मरीजों से ज्यादा संख्या ठीक होने वालों की है। लोग लगातार ठीक होकर घर लौट रहे हैं। हजारों बच्चों को नई जिंदगी मिली है तो लाखों माता-पिता भी फिर अपने सामान्य जीवन में लौटकर जिम्मेदारियां निभाने लायक बने हैं। हर मोड़ पर मौत मुंंह खोलकर खड़ी है लेकिन यह सफलता कोरोना योद्धाओं के समर्पण से मिल पाई है और हर आंगन में जिंदगी मुस्कुरा रही है।

धैर्य से रहिए और सहयोग कर आहुति दीजिए
शासन-प्रशासन, निजी- सरकारी डॉक्टर अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं। इसमें आप भी अपनी ओर से सहयोग दीजिए। कोरोना योद्धाओं को कोसने की बजाय प्रोटोकॉल को फॉलो कीजिए। अपनी जिम्मेदारी समझिए और अस्पताल, क्लिनिक व अन्य स्थानों की कमियों पर विवाद करने की बजाय अनुशासन रखिए। धैर्य से काम लीजिए। मानवता की रक्षा के साथ समाज कल्याण और जनहित के लिए किए जाने वाले इस हवन में आप भी अपनी ओर से एक आहुति दीजिए। हर अति का अंत होता है और हर रात की सुबह होती है। इस आपदा से लड़ने और जितने में समय लग सकता है लेकिन विश्वास मानिए कि आपका साथ मिलेगा तो हम लड़ेंगे भी और जितेंगे भी। जय हिंद।

– डॉ. विजय हरलालका
(लेखक नर्सिंग होम एसोसिएशन इंदौर के अध्यक्ष हैं और ये उनके निजी विचार हैं)

 

 

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