अश्वमेघ मधुमेह रथ से देंगे डायबिटीज पर विजय का सन्देश

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इंदौर: दुनिया में हर 5 सेकंड में एक व्यक्ति डायबिटीज के कारण अपनी जान गंवाता है. प्रत्येक 70 सेकंड में पैरों (डायबिटीज फुट) में होने वाली बीमारी गैंगरीन के चलते एक टांग काटना पड़ती है. दुनिया भर के डायबिटीज के रोगियों को एक जगह इकट्ठा किया जाये तो यह आंकड़ा विश्व के तीसरे देश की आबादी के बराबर होगा. इस से बड़ी बात यह है कि 50 से 70 प्रतिशत पीड़ितों को यह नहीं मालूम कि उन्हें डायबिटीज है. अंधेपन, लकवे, ह्रदयाघात के सबसे अधिक मामले डायबिटीज की देन हैं. पिछले वर्ष दुनिया भर में डायबिटीज के कारण 67 लाख इंसानों की मौत हुई है जो उसके पिछले साल से 22 लाख ज्यादा (45 लाख) है. एक अनुमान के अनुसार डायबिटीज की बीमारी के इलाज में पिछले वर्ष 800 बिलियन डॉलर्स खर्च हुए हैं.

ये चौंका देने वाले आंकड़े दिए हैं एंडोक्राईनोलॉजिस्ट डॉ. संदीप जुल्का ने एक प्रेस कांफ्रेंस में, जिसमें वे पिछले 15 वर्षों की ही तरह इस वर्ष विश्व मधुमेह दिवस पर आयोजित किये जाने वाले जागरूकता कार्यक्रमों की जानकारी दे रहे थे. डॉ. संदीप जुल्का ने बताया कि इस वर्ष आमजन में जागरूकता फैलाने के लिए फोरम फॉर डायबिटीज अवेयरनेस, रेडिएंस क्लिनिक, मधुमेह चौपाल और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मिलकर दो अश्वमेघ रथ तैयार किये हैं, जो शहर के प्रमुख हिस्सों से गुजरेंगे और जहां जहां रुकेंगे, वहाँ प्रशिक्षित टेक्निकल टीम आम नागरिकों की निःशुल्क रैंडम ब्लड शुगर की जांच करेगी और उनसे संवाद कर डायबिटीज के बारे में बतायेगी. ये दो रथ 14 नवम्बर की सुबह 09 बजे 56 दुकान, पलासिया से रवाना होंगे, शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए एक रथ राजवाडा पर और दूसरा नवलखा चौराहे पर शाम 07 बजे रुकेगा.

डॉ. जुल्का और उनकी टीम वर्ष 2007 से डायबिटीज से परिचय/ जागरूकता के लिए प्रति वर्ष कार्यक्रम आयोजित करती है, जिसमें वॉक फॉर डायबिटीज, ब्लड शुगर स्क्रीनिंग, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार आदि शामिल हैं. डॉ. जुल्का के अनुसार शहर के मुख्य मजदूर चौक, बगीचों, पुलिसकर्मियों को मिलाकर इन वर्षों में हमने करीब 6000 के निःशुल्क रैंडम ब्लड शुगर की जांच की है, जिनमें करीब 20 प्रतिशत को डायबिटीज और इतने ही लोगों को प्री – डायबिटीज निकली है, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आंकड़ों के समान हैं और चिंता की बात है l डॉ. जुल्का ने बताया कि डायबिटीज से डरने के बजाय इससे परिचय कर जितना संभव हो, बचाव करना ही बेहतर इलाज है. इसके बावजूद भी यदि किन्हीं कारणों से डायबिटीज की चपेट में आ ही जाएँ, तो सामना कर उचित उपचार और परहेज कर सामान्य जीवन जिया जा सकता है.

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